तेल रहित चावल भूसी डीओसी Export Ban पर पुनर्विचार करे सरकार- उद्योग संगठन एसईए
De-Oiled Rice Bran: विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) ने 28 जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर नवंबर तक चावल भूसी डीओसी के निर्यात पर रोक लगा दी थी.
(File Image)
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De-Oiled Rice Bran: खाद्य तेल उद्योग संगठन साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA ) ने सरकार से तेल रहित चावल भूसी डी-आयल्ड केक (DOC) के निर्यात (Export) पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. उसका कहना है कि इस कदम का पशु चारा और दूध कीमतों पर खास असर नहीं पड़ेगा.
विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) ने 28 जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर नवंबर तक चावल भूसी डीओसी के निर्यात पर रोक लगा दी थी. एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने एक बयान में कहा, इस फैसले से घरेलू चावल भूसी प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और चावल भूसी डीओसी के निर्यात पर दूरगामी नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं. हमने सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.
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30 नवंबर से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए बैन
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उन्होंने कहा कि इस संबंध में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला को प्रतिवेदन दिये गये हैं. उद्योग संगठन ने कहा कि नया सत्र अक्टूबर के मध्य में शुरू हो जाएगा. इसको देखते हुए कोई भी प्रतिबंध 30 नवंबर से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए.
एसईए ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि उद्योग समझता है कि मवेशी चारे की ऊंची कीमतों की वजह से दूध और दूध उत्पादों की बढ़ती कीमतों के कारण निर्यात पर प्रतिबंध लगा हैं जिसमें चावल भूसी डीओसी एक प्रमुख घटक है. उसने कहा, हालांकि, हम हम इस विचार से असहमत हैं.
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उद्योग संगठन ने कहा कि अगर चावल भूसी डीओसी की कीमत 10% भी कम कर दी जाए तो भी पशु आहार की लागत में मामूली कमी आएगी. परिणामस्वरूप दूध की कीमतों पर प्रभाव न्यूनतम होगा, संभवतः 1% से अधिक की कमी नहीं होगी.
एसईए ने कहा कि इसके अलावा, चावल भूसी डीओसी का कुल निर्यात उत्पादन का 10% से भी कम है, और इस पर लगा प्रतिबंध धान किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे उन्हें अपनी उपज पर बेहतर लाभ प्राप्त करने में बाधा आ सकती है.
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इन देशों को चावल भूसी डीओसी एक्सपोर्ट करता है भारत
पिछले कुछ वर्षों में, भारत ने सफलतापूर्वक चावल भूसी डीओसी के लिए एक निर्यात बाजार विकसित किया है. यह मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों को सेवा प्रदान करता है. इसमें कहा गया है, निर्यात नीति (Export Policy) में अचानक बदलाव से कड़ी मेहनत से अर्जित की गई बाजार में बनायी गयी साख को नुकसान पहुंचने का खतरा है.
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03:34 PM IST